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UPAJVARDHAK

उपजवर्धक फसल पोषण, उत्पादकता में वृद्धि, मिट्टी के ह्यूमस स्तर व मृदा विन्यास में सुधार तथा कायाकल्प के लिए एक प्राकृतिक कार्बनिक उत्पाद है। मिट्टी का ह्यूमस स्तर और उर्वरता सुधारने, कृषि उपज की मात्रा व गुणवत्ता में वृद्धि एवं जैविक उपज प्राप्त करने के लिए यह प्रभावी ऑर्गेनिक उत्पाद है। उपजवर्धक सरलता से घुलनशील होने के कारण उर्वरकों के साथ एक सफल सलंयक है, जो यूरिया (नाइट्रोजन) व अन्य पोषक तत्वों को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण है।

फसलों में उपयोगिताः सभी प्रकार की मिट्टी व फसलों जैसे दलहन, तिलहन, अनाज, बागवानी, फलों, फूलों, सब्जियों की फसलों, आलू, गन्ना, कपास, मेन्था एवं अन्य नगदी फसलों, तथा औषधीय एवं सुगंधित फसलों में प्रयोग के लिये उपयुक्त है।

प्रयोगविधि एवं मात्राः उर्वरक या खाद के साथ, बीजोपचार, छिड़काव, ड्रिप या सिंचाई के बहते पानी में मिलाकर, अन्य उर्वरकों/खाद/जैविक खाद के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है। स्प्रे के लियेः 1 से 2 ग्राम उपजवर्धक प्रति लीटर पानी मे घोल बनाकर 300 ग्राम/ प्रति एकड़ की दर से 10 से 12 दिनो के अंतराल पर छिड़काव। सिंचाई के साथः 500 से 1000 ग्राम उपजवर्धक सिंचाई के बहते पानी के साथ (फर्टिगेशन) पहली, दूसरी और तीसरी सिंचाई में। छिटकाव द्वाराः1 किलोग्राम उपजवर्धक प्रति एकड़ की दर से, मिट्टी या रेत, उर्वरक/जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट में मिलाकर बुवाई के समय छिटकाव।

बीज उपचार/सीड कोटिंगः 5 से 10 ग्राम उपजवर्धक प्रति किलो बीज की दर से बीज पर कोटिंग करके बुवाई के समय।

लाभः 1. उपजवर्धक मिट्टी में ह्यूमस स्तर को नियमित करता है। 2. उपजवर्धक बीज अंकुरण और जड़ विकास में सहायता करता है। 3. उपजवर्धक फसल विकास और जड़ विकास के प्रारंभिक चरणों में पादप विकास को गति देने में मदद करता है और जड़ों द्वारा पोषण ग्रहण करने में सहायता करता है। 4. उपजवर्धक एक कार्बनिक उत्प्रेरक, चेलेटिंग एजेंट, पोषक उत्पाद है जो पादप विकास तेज करता है। 5. उपजवर्धक पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला एवं कार्बनयुक्त नमी प्रतिधारण क्षमता के साथ बहुत उच्चचेतन एक्सचेंज क्षमता (सीईसी) वाला एक श्रेष्ठ व अप्रतिम उत्पाद है। 6. उपजवर्धक में उपलब्ध उच्चतम कार्बनिक अवयव फायदेमंद सूक्ष्म जीवों एवं उचित मृदा विन्यास के लिए आवश्यक और लाभकारक है। 7. उपजवर्धक त्वरित-घुलनशील ह्यूमिक एसिड युक्त है जो नमी अवधारण में सुधार, जड़ों के पूर्ण विकास और सूखे की स्थिति में सहायता करता है। 8. उपजवर्धक एक अत्यन्त प्रभावी मृदापोषक है जो लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ावा देकर मिट्टी में वांछनीय मृदा-विन्यास निर्मित करता है। 9. उपजवर्धक एक शक्तिशाली माइक्रोब प्रमोटर है। 10. उपजवर्धक पत्तियों में क्लोरोफिल की मात्रा बढ़ाकर प्रकाश संश्लेषण को गति देता है और पौधों के उपापचय को तेज करता है। 11. उपजवर्धक मिट्टी में जहरीले और रासायनिक उर्वरको के नमकीन अवशेषों को चेलेट करके मृदा प्रदूषण और विषक्तता को कम करता है। यह मिट्टी में जहरीले अवशेषों को अपघटित कर देता है। 12. उपजवर्धक अनुकूल मृदा पर्यावरण का निर्माण करके केचुओं की संख्या में वृद्धि और उनके कामकाज को बढ़ावा देता है। मिट्टी मे लाभप्रद कवक को बढ़ाता है । 13. उपजवर्धक मिट्टी में फायदेमंद बैक्टीरिया/सूक्ष्म जीवों के लिए सबसे अच्छा भोजन है। 14. उपजवर्धक मिट्टी में ऑक्सीजन संचरण और कार्बन के स्तर में सुधार तथा कार्बन नाइट्रोजन अनुपात एवं रसायन संतुलन को नियमित करता है। 15. उपजवर्धक मिट्टी की जल अवधारण क्षमता में सुधार कर मिट्टी को ढ़ीली, भुरभुरी, नरम, नम और उपजाऊ बनाता है। उपजवर्धक बेहतर Aggregation, Flocculation, जड़ विकास तथा पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा देता है। 16. उपजवर्धक पौधों की जड़ों द्वारा उर्वरकों के कुशल उपयोग व अवशोषण के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित कराता है। उपजवर्धक अन्य फसल पोषक उत्पादों और उर्वरकों के प्रभाव में वृद्धि करता है। 17. उपजवर्धक फसल की पैदावार बढ़ाता है। मिट्टी में प्राकृतिक स्वपोषी उर्वरता प्रणाली को पुनः स्थापित करता है। 18. उपजवर्धक सूखा/ठंड की स्थिति में प्रतिरोध प्रदान करता है और फसलों में प्रतिकूल परिस्थितिरोधी क्षमता विकसित करता है। फसल को सूखे और पाले से बचाता है। 19. उपजवर्धक मृदा विन्यास ठीक करता है, मिट्टी की संरचना में सुधार एवं कार्बन अवयव को बढ़ाता है। 20. उपजवर्धक कोशिका विभाजन, पुष्पन, फलन और दाने बैठाने में मदद करता है। 21. उपजवर्धक उर्वरकों व कीटनाशकों के विषैले प्रभाव को कम करता है, जहरीले अवशेषों को अपघटित करके जल व मृदा प्रदूषण नियंत्रित करता है। 22. उपजवर्धक मिट्टी के पीएच मान को नियमित करता है और लॉक-अप से फास्फोरस को मुक्त करता है। 23. उपजवर्धक मृदा बैक्टीरिया-विशेष रुप से रेजोस्फीयर बैक्टीरिया को सक्रिय करता है जो कि जड़ प्रणाली के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं तथा पौधों की वृद्धि तेज करने के लिए पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं। 24. उपजवर्धक पुष्पन एवं फलन में सुधार तथा फूलों और फलों को गिरने से रोकता है। उपज की मात्रा और गुणवत्ता में वृद्धि, उपज का आकार, रंग, स्वाद और पोषकता में वृद्धि करता है। फूलों में अर्क/इत्र तथा मेन्था में तेल की मात्रा में वृद्धि करता है। 25. उपजवर्धक कीटनाशक/खरपतवारनाशक के उपयोग से दुष्प्रभावित फसलों में सुधार करता है। विषाक्त उत्पादों के साइड इफेक्ट से फसल को बचाता और पुनर्जीवित करता है। 26. उपजवर्धक नाइट्रोजन को स्थिर करके नाइट्रोजन का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करता है तथा नाइट्रोजन के बहाव को रोकता है। 27. उपजवर्धक कृत्रिम रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को 60% तक कम करता है।


 
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